बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले राहुल प्रकाश इंफोसिस की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खुद का स्टार्टअप चला रहे हैं। उन्होंने अलग-अलग राज्यों के किसानों के साथ मिलकर एक नेटवर्क तैयार किया है। 1200 से ज्यादा किसान उनके साथ जुड़े हैं। वे इन किसानों के ओरिजिनल और GI टैग वाले प्रोडक्ट की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करते हैं। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी उनके प्रोडक्ट की डिमांड है। वे ऑनलाइन और ऑफलाइन लेवल पर इसकी मार्केटिंग कर रहे हैं। सालाना 60 लाख रुपए उनका टर्नओवर है।
40 साल के राहुल एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई -लिखाई पटना से हुई। इसके बाद साल 2003 में NIT जमशेदपुर से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उनकी नौकरी लग गई। नौकरी के दौरान ही उन्होंने MBA की भी डिग्री ली। राहुल ने अलग-अलग कंपनियों में अच्छी पोजिशन पर काम किया। कंपनी की तरफ से उन्हें विदेश जाने का भी ऑफर मिला, लेकिन राहुल नहीं गए।
खेती और किसानों के लिए हमेशा से कुछ करना चाहता था
राहुल कहते हैं कि शुरुआत से मेरा खेती से लगाव रहा है। नौकरी के दौरान भी मुझे अक्सर लगता था कि गांव के किसानों के लिए कुछ करना चाहिए। हम पढ़-लिखकर खुद के लिए तो बेहतर कर रहे हैं, लेकिन जिस जगह और जिस बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते हैं, उसके लिए कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। इसी बीच एक दोस्त से मेरी बात हुई, उन्होंने किसानों के लिए एक स्टार्टअप शुरू किया था। वे किसानों को टेक्नोलॉजी सपोर्ट प्रोवाइड करा रहे थे। मुझे उनका आइडिया अच्छा लगा और मैंने तय कर लिया कि अब एग्रीकल्चर सेक्टर में ही काम करेंगे।
हालांकि मेरे फैसले का दोस्तों ने और परिवार के लोगों ने विरोध किया। वे नहीं चाहते थे कि मैं नौकरी छोड़कर स्टार्टअप के फील्ड में जाऊं, लेकिन मैं तय कर चुका था। साल 2015 में अपनी नौकरी छोड़ दी और उस स्टार्टअप के साथ काम करने लगा। हम गांवों में जाते थे, किसानों से मिलते थे और उन्हें नई टेक्नोलॉजी के बारे में बताते थे। करीब 3 साल तक मैंने उस स्टार्टअप के साथ काम किया। इस दौरान मुझे फार्मिंग और उससे जुड़े स्टार्टअप्स को लेकर अच्छी खासी जानकारी हो गई और मुझे लगा कि अब खुद का स्टार्टअप लॉन्च करना चाहिए। Read more at
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